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तेरी आंखें

पर्वत, सहरा, कश्ती, दरिया तेरी आंखें हैं,
दीपक-जुगनू-चांद-सितारे तेरी आंखें हैं।

एक समन्दर लहराता सा मेरी पलकों में,
और उसी का दूर किनारा तेरी आंखें हैं।

जो जज़्बात उठा करते हैं दिल के पानी में,
सच कहना क्या उनका चश्मा तेरी आंखें हैं?

तेरे दिल से मेरे दिल तक कैसे जाती हैं?
इन बातों का कोई रस्ता तेरी आंखें हैं?

रेत के कस्बे वाली लड़की सच-सच कहता हूं,
मेरी दो आंखों का सपना तेरी आंखें हैं।

रात के दो बजकर चालिस पर तुमसे कहता हूं
पूरे दिन का सारा किस्सा तेरी आंखे हैं।

– रचित दीक्षित