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तुम्हारी खातिर | 1

वही तुम्हारा रोना धोना
वही तुम्हारी नादानी,
जज्बातों से खेल खेल में
वही तुम्हारी शैतानी,

रूठे रूठे बातें करना या
पल में गुस्सा हो जाना,
कभी देर तक जागते रहना या
फिर जल्दी सो जाना,

‌खुद ही खुद को समझा कर
हम खुद ही खुद से दूर चले

‌बस एक तुम्हारी जीत की खातिर
हम अपनों से हार चले।

– पंकज कसरादे