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कीलें

मेरी चप्पलों में ठुकी हुई हैं कीलें
मैं कीलों के साथ इस धरती का चक्कर लगा रहा हूँ
मेरी गर्दन में एक झोला टंगा है
मुझे हर जगह दिखाई दे रही है कीलें
बित्ते भर की जगह खाली नहीं है
मैं एक कील चाँद पर ठोक दूंगा
मैं अपना झोला चाँद पर टांग दूंगा
चाँद की यात्रा पर मेरे साथ होगी कीलें
मैं कीलों को मानता हूँ नियति
मेरे जैसे लोगों के भीतर जो लोहा है
उससे कोई कीलें ही बनायेगा
इस नुकीले समय में
मैं यही उम्मीद करता हूँ

रोहित ठाकुर