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एक मुस्कान

ये हवा ये गुलाबी मौसम
सब बेमानी है तेरी एक मुस्कान से
ये सुर्ख गुलाब ये तंज़ फ़िज़ा
सब बेमानी है तेरी एक मुस्कान से

खता हो जो बात झूठ कहूँ
सिरफिरा हूँ अब तलक बेमान नही
ना करूँ तेरे रुखसार की तारीफ तो बेमानी है
करूँ जो शिद्दत से मोहब्बत तो दीवानगी है

ये खतावार की खता ही समझ लेना
ना जताऊं तो बेमान, कह दूँ तो दीवाना हूँ
कहता हूँ इसलिए खुद्दारी से
समेट लो मुस्कान सारी तुम मेरे लिए

ना रहो दूर ना रहो इतने पास के सब बेमानी लगे
ना लगे तमगा दीवाने का “आस” के सहारे
थोड़ी मुहब्बत थोड़ी दीवानगी रहने दो
थोड़ी मासूमियत की अदा रहने दो
खालिस परवाना ना कहलाऊं सखी
थोड़ी कलम थोड़ी जिंदगी बाकी रहने दो

-सचिन बिल्लोरे “आस”