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एकांत

एकांत बुरा नही है,
एकांत तो साथी है।

बड़े से बग़ीचे में बैठें भवरों को
निहारने का सुख है एकांत।

तालाबों में कंकड़ मारते हुए डूबकर
उस पार को जाना है एकांत।

लैपटॉप पर चलती उँगलियों से
कलम चलवाने का अवसर है एकांत।

बंद कमरों में पसरे सामान के बीच
ख़ुद के होने को जानना है एकांत।

भीड़ अच्छी होती है, दिलासा देती है।
एकांत अपना होता है ख़ुद से मिलवाता है।

एकांत बुरा नही है,
एकांत तो साथी है।

-लोकेश सिंह सम्राट